بسم الله الرحمن الرحيم
बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्रिहीम
الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
अस्सालातु वसल्लामु अलैहका या रसूलउल्लाह सल्ललाहो अलैह वसल्लम
____🕋🕋____________
अक़ाईद का बयान पोस्ट(7)
____📖📖______________
सवाल- एहले कुरान किन लोगों को कहते हैं?
जवाब- उन लोगों को कहते हैं जो कलमा गो होकर हमारे किबले की तरफ़ मूँह करके नमाज़ पढ़ते हों और तमाम बातों को मानते हों जिनका सुबूत शरीअत से यकीनी और मशहूर है जैसे दुनिया के लिए हुदूस जिसमों के लिए हशर(क़यामत)अल्लाह के लिए कुल्लियत व जुज़यात का इल्म,नमाज़,रोज़ा,का फर्ज़ होना वगैरह जो शख़्स इनमें से किसी बात का इन्कार करे वह एहले कुरान नही अगरचे इबादतों की परेशानी बरदाश्त करता हो।
(शरह फिक़हे अकबर लिअलीकारी सफ़्हा 154/निबरास सफ़्हा 572)
सवाल- इन बयान किये गऐ फ़िरकों के लिए क्या हुक्म है और उनके साथ मेल जोल रखना जाइज़ है या नहीं?
जवाब- वहाबी,देवबन्दी,राफ़ज़ी,तबर्राई,क़ादयानी,मौदूदी,चकड़ालवी,गैर मुक़ल्लिद,जो भी दीन की ज़रूरी बातों में से किसी चीज़ का इन्कार करने वाला है सब काफ़िर व मुर्तद हैं और जो कोई उनकी लानत वाली बातों पर आगाह होकर उनके कुफ्र में शक करे वह भी काफिर है उनके साथ मेल-जोल रखना खाना-पीना सलाम-व-कलाम इसी तरह मौत व जिन्दगी में शरीक होना वगैरह सब नाजाइज़ व हराम है।
(फतावा रिजविया जिल्द 1 सफ्हा 191/जिल्द 6 सफ्हा 95)
सवाल- ईमान किसे कहते हैं?
जवाब- जिन बातों का पेश करना हुजूर सल्ललाहो अलैही वसल्लम से यक़ीनी और क़तई तौर पर साबीत हैं उन बातों की तसदीक़ का नाम ईमान हैं।
(शरह फिक़हे अकबर लिअलीकारी सफ़्हा 86)
सवाल- क्या ईमान कमी-ज़ादती कुबूल करता है?
जवाब- नहीं,अस्ल ईमान दिल की तस्दीक हैं और तसदीक़ एक कैफ(हालत)है यानी एक हालते इज़आनीया जौ मिक़दार कै एतेबार से कमी ज़्यादती कुबूल नहीं करती अलबत्ता उनमें कमज़ोरी और शिददत होती है।
(शरह अक़ाइद सफ़्हा 93/बहारे शरीअत जिल्द 1 सफ़्हा 45)
सवाल- कुफ़् किसे कहते है?
जवाब- जिन बातों का पेश करना हुजूर सल्ललाहो अलैही वसल्लम से यक़ीनी और क़तई तौर पर साबीत है उनमें से किसी एक बात का इन्कार करना कुफ़् है।
(शरह अक़ाइद सफ़्हा 61)
सवाल- शिर्क किसे कहते हैं?
जवाब- अल्लाह तआला के सिवा किसी दूसरे के वुजूद को वाजिब मानना या किसी और को इबादत के लायक समझना शिर्क हैं,
हजरत शेख़ अब्दुल हक मुहदिदस देहलवी फरमाते हैं कि शिर्क तीन किस्म का हैं
पहला तो यह कि अल्लाह तआला के इलावा किसी और के वुजूद को वाजिब माने,
दूसरा यह कि खुदा के सिवा किसी और को पैदा करने वाला माने,
तीसरा यह कि खुदा के सिवा किसी और को भी इबादत के लायक समझे।
(अशिअअतुल लमआत जिल्द 1 सफ़्हा 72)
____📚📚______________
हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
No comments:
Post a Comment