सवाल- हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु का लक़ब"कर्रार"किसने रखा और क्यों?
*जवाब- आपका लक़ब"कर्रार"हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने रखा कर्रार के माने हैं बार बार हमला करना क्योंकि आप भी दुश्मन पर बार-बार हमला करते थे इसलिए आपका लक़ब कर्रार रखा।*
(मदारिजुन्नबुव्वत जिल्द2सफ़्हा136)
सवाल- हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु के कातिल का नाम है और आपकी शहादत का वाकिआ क्या है?
*जवाब- आपके कातिल का नाम अब्दुर्रहमान बिन मुलजुम मुरादी है आपकी शहादत का वाकिआ मुख्तसर यूं है कि यह इब्ने मुलजुल मिस्री था और जब लोग हजरते उस्माने ग़नी रदियल्लाहु तआला अन्हु को कत्ल करने के लिये मिस्र से आए तो उनके साथ यह भी आया था फिर वहाँ से ये कूफा आ गया और तौबा करके लश्करे शेरे खुदा में शरीक हो गया जंग नहरवान की फतेह के बाद इब्ने मुलजुल अहले कूफा को बशारत फतेह सुनाने गया उस मौके पर कूफा की एक औरत कतामा नामी से मुलाकात हुई यह कतामा अरब भर में हसीन व जमील मशहूर थी इब्ने मुलजुल की नज़र जैसे ही उसपर पड़ी शोलाए फिस्क उसके सिने में भड़का और सब्र को मुहब्बत की बिजली ने जला दिया बातो ही बातों मे इब्ने मुलजुल पूछ बैठा तू शादी करना चाहती है या नही कतामा ने कहा चाहती जरूर हों मगर मेरी शराईत पूरी करने वाला मुझे अब तक नही मिला इब्ने मुलजुल ने पुछा वो क्या शराईत हैं इस पर कतामा रोने लगी और यूं बोली कि ऐ इब्ने मुलजुल लश्करे अली(मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु)ने हर्बे नहरवान में मेरे बारह रिश्तेदार कत्ल किए जबसे मैंने अपना मेहर तीन बातों को रखा है नम्बर एक तीन हजार दिरहम नगद नम्बर दो एक कनीज हसीन व जमील और नम्बर तीन कत्ले अली(मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु)इब्ने मुलजुल ने कहा दो बातें तो मुमकिन है मगर मौला अली शेरे खुदा का कत्ल बड़ी जबरदस्त शर्त है कतामा ने कहा दिरहम और कनीज से दस्तबरदारी मुमकिन है मगर सबसे बड़ी शर्त यही है इब्ने मुलजुम ने सोच विचार करके कहा अच्छा ठीक है कतामा में तैयार हूँ मगर सिर्फ एक जर्ब का जिम्मेदार हूँ कतामा ने कहा अच्छा एक ही जर्ब सही अपनी तलवार मुझे लाकर दे चुनाँचे इब्ने मुलजुल अपनी तलवार लाया और कतामा ने उस तलवार को जहर में बुझा दिया कुछ दिन बाद इब्ने मुलजुल कतामा के पास आया और उससे वो तलवार ले ली इब्ने मुलजुल ने अपनी मद्द के लिए शुएब बिन शरई खारजी और वरदान तैमी खारजी को तैयार कर लिया मुख्तसर यह कि रमजान की एक शब को हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु मस्जिद में तशरीफ लाए देखा कि अहले कूफा चारों तरफ से हिफाजत कर रहे हैं आपने फरमाया कि यह कैदियों सी हिफाजत क्या है तक्दीरे इलाही मिट नहीं सकती जो होना है वह होगा और जरूर होगा तुम जाओ और अपने घरों में आराम करो तमाम लोग मजबूर होकर चले गए और आप अकेले मस्जिदे कूफा में तमाम शब मशगूले इबादत रहे फिर आपने सुबह की आजान दी और सुन्नत व फर्ज नमाज मे मशगूल हो गए इब्ने मुलजुल दोनों साथियों के साथ जहर में बुझी हुई तलवार लेकर लपका अभी आप एक ही रकअत पूरी कर पाए थे कि उस ख़बीस ने बार किया वार मुकाम पर लगा जहाँ पहले जंगे खंदक का जख्म था वही जख्म खुल गया और सर मुबारक से मगज बाहर आ गया ख़बीस इब्ने मुलजुल भागा और पुकारता चला अफसोस अमीरूल मोमिनीन शहीद हो गए तमाम अहले कूफा मस्जिद में भर गए देखा कि हजरते अली मुर्तजा शेरे खुदा करमल्लाहु वज्हुल करीम अपनी खून आलूदा रेश मुबारक पर हाथ फेर रहे हैं और फरमा रहे हैं कि इसी तरह मैं दरबारे रिसालत में जाऊँगा फातिमा जोहरा से मिलूंगा चचा हम्जा से मुलाकात करूंगा यही हुलिया अपने भाई जाफर तैय्यार को दिखाऊंगा इधर शबीब लोगों के जरिए हलाक हुआ और इब्ने मुलजुल आपके हुक्म से कैद में डाला गया।*
(अवराके ग़म सफ़्हा169से177)
◆________________________________◆
*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
*जवाब- आपका लक़ब"कर्रार"हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने रखा कर्रार के माने हैं बार बार हमला करना क्योंकि आप भी दुश्मन पर बार-बार हमला करते थे इसलिए आपका लक़ब कर्रार रखा।*
(मदारिजुन्नबुव्वत जिल्द2सफ़्हा136)
सवाल- हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु के कातिल का नाम है और आपकी शहादत का वाकिआ क्या है?
*जवाब- आपके कातिल का नाम अब्दुर्रहमान बिन मुलजुम मुरादी है आपकी शहादत का वाकिआ मुख्तसर यूं है कि यह इब्ने मुलजुल मिस्री था और जब लोग हजरते उस्माने ग़नी रदियल्लाहु तआला अन्हु को कत्ल करने के लिये मिस्र से आए तो उनके साथ यह भी आया था फिर वहाँ से ये कूफा आ गया और तौबा करके लश्करे शेरे खुदा में शरीक हो गया जंग नहरवान की फतेह के बाद इब्ने मुलजुल अहले कूफा को बशारत फतेह सुनाने गया उस मौके पर कूफा की एक औरत कतामा नामी से मुलाकात हुई यह कतामा अरब भर में हसीन व जमील मशहूर थी इब्ने मुलजुल की नज़र जैसे ही उसपर पड़ी शोलाए फिस्क उसके सिने में भड़का और सब्र को मुहब्बत की बिजली ने जला दिया बातो ही बातों मे इब्ने मुलजुल पूछ बैठा तू शादी करना चाहती है या नही कतामा ने कहा चाहती जरूर हों मगर मेरी शराईत पूरी करने वाला मुझे अब तक नही मिला इब्ने मुलजुल ने पुछा वो क्या शराईत हैं इस पर कतामा रोने लगी और यूं बोली कि ऐ इब्ने मुलजुल लश्करे अली(मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु)ने हर्बे नहरवान में मेरे बारह रिश्तेदार कत्ल किए जबसे मैंने अपना मेहर तीन बातों को रखा है नम्बर एक तीन हजार दिरहम नगद नम्बर दो एक कनीज हसीन व जमील और नम्बर तीन कत्ले अली(मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु)इब्ने मुलजुल ने कहा दो बातें तो मुमकिन है मगर मौला अली शेरे खुदा का कत्ल बड़ी जबरदस्त शर्त है कतामा ने कहा दिरहम और कनीज से दस्तबरदारी मुमकिन है मगर सबसे बड़ी शर्त यही है इब्ने मुलजुम ने सोच विचार करके कहा अच्छा ठीक है कतामा में तैयार हूँ मगर सिर्फ एक जर्ब का जिम्मेदार हूँ कतामा ने कहा अच्छा एक ही जर्ब सही अपनी तलवार मुझे लाकर दे चुनाँचे इब्ने मुलजुल अपनी तलवार लाया और कतामा ने उस तलवार को जहर में बुझा दिया कुछ दिन बाद इब्ने मुलजुल कतामा के पास आया और उससे वो तलवार ले ली इब्ने मुलजुल ने अपनी मद्द के लिए शुएब बिन शरई खारजी और वरदान तैमी खारजी को तैयार कर लिया मुख्तसर यह कि रमजान की एक शब को हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु मस्जिद में तशरीफ लाए देखा कि अहले कूफा चारों तरफ से हिफाजत कर रहे हैं आपने फरमाया कि यह कैदियों सी हिफाजत क्या है तक्दीरे इलाही मिट नहीं सकती जो होना है वह होगा और जरूर होगा तुम जाओ और अपने घरों में आराम करो तमाम लोग मजबूर होकर चले गए और आप अकेले मस्जिदे कूफा में तमाम शब मशगूले इबादत रहे फिर आपने सुबह की आजान दी और सुन्नत व फर्ज नमाज मे मशगूल हो गए इब्ने मुलजुल दोनों साथियों के साथ जहर में बुझी हुई तलवार लेकर लपका अभी आप एक ही रकअत पूरी कर पाए थे कि उस ख़बीस ने बार किया वार मुकाम पर लगा जहाँ पहले जंगे खंदक का जख्म था वही जख्म खुल गया और सर मुबारक से मगज बाहर आ गया ख़बीस इब्ने मुलजुल भागा और पुकारता चला अफसोस अमीरूल मोमिनीन शहीद हो गए तमाम अहले कूफा मस्जिद में भर गए देखा कि हजरते अली मुर्तजा शेरे खुदा करमल्लाहु वज्हुल करीम अपनी खून आलूदा रेश मुबारक पर हाथ फेर रहे हैं और फरमा रहे हैं कि इसी तरह मैं दरबारे रिसालत में जाऊँगा फातिमा जोहरा से मिलूंगा चचा हम्जा से मुलाकात करूंगा यही हुलिया अपने भाई जाफर तैय्यार को दिखाऊंगा इधर शबीब लोगों के जरिए हलाक हुआ और इब्ने मुलजुल आपके हुक्म से कैद में डाला गया।*
(अवराके ग़म सफ़्हा169से177)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
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