सवाल- हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु इज्हारे नबुव्वत के कितने दिनों बाद इस्लाम से मुशर्रफ हुए और उस वक़्त आपकी उम्र क्या थी?
*जवाब- अबू याअला ने हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की है कि उन्होंने फरमाया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने पीर के दिन इज्हारे नबुव्वत फरमाया और में पीर को ही इस्लाम लाया उस वक़्त आपकी उम्र दस या आठ साल की थी जैसा कि अल्लामा स्युती रहमतुल्लाह अलैहि ने नक्ल किया है वाज़ का ख़्याल है कि पन्द्रह साल की थी और वाज़ का चौदह साल और एक कौल सोलह साल भी है।*
(मदारिजुन्नबुव्वत जिल्द2सफ़्हा917/असमाउर्रिजाल मिश्कात सफ़्हा602)
सवाल- हज़रते अली मुर्तजा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की कुन्नियत"अबु तुराब होने का वकिया क्या है?
*जवाब- आपकी कुन्नियत अबु तुराब होने का वकिया यूं है कि हज़रत अम्मार बिन यासिर रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मैं और हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु ग़ज़वाए अशीरा मे खजूर के एक पेड़ की जड़ में सो रहे थे वह जमीन रेतीली थी और हम गर्दआलूद हो गए थे फिर हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हमारे सिरहाने तशरीफ लाए और हमे जगाया और हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु से फरमाया उठ ऐ"अबु तुराब"लेकिन आपकी कुन्नियत अबु तुराब मशहूर होने का किस्सा यह है कि जिसे बुखारी व मुस्लिम मे हजरत सहल बिन साअद रजियल्लाहु तआला अन्हु से नक्ल किया है कि हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु के घर हजरत फातिमा रजियल्लाहु तआला अन्हा के पास तशरीफ लाए इससे पहले हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु घर से बाहर तशरीफ लाकर मस्जिद में सो गए थे हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने सैय्यदा फातिमा रजियल्लाहु तआला अन्हा से फरमाया तुम्हारे इब्ने आम यानी अली मुर्तजा कहाँ हैं हजरत फातिमा रजियल्लाहु तआला अन्हा ने अर्ज किया मेरे और उनके दरमियान रंजिश सी हो गई है और वह गुस्से में बाहर चले गए हैं इसके बाद हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने किसी से फरमाया देखों वह कहाँ है तो उस आदमी ने आकर बताया कि हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु मस्जिद में आराम कर रहे हैं फिर हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम उनके सिरहाने तशरीफ लाए और उनके पहलू पर सोते हुए मुलाहिजा फरमाया उनके पहलू पर निशानात पड़े हुए थे और उनका बदन खाक आलूदा हो गया था इस पर हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया"कुम अबा तुराब" अबु तुराब उठो उस से आपकी कुन्नियत अबू तुराब हो गई।*
(मदारिजुन्नबुव्वत जिल्द2सफ़्हा136)
◆________________________________◆
*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
*जवाब- अबू याअला ने हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की है कि उन्होंने फरमाया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने पीर के दिन इज्हारे नबुव्वत फरमाया और में पीर को ही इस्लाम लाया उस वक़्त आपकी उम्र दस या आठ साल की थी जैसा कि अल्लामा स्युती रहमतुल्लाह अलैहि ने नक्ल किया है वाज़ का ख़्याल है कि पन्द्रह साल की थी और वाज़ का चौदह साल और एक कौल सोलह साल भी है।*
(मदारिजुन्नबुव्वत जिल्द2सफ़्हा917/असमाउर्रिजाल मिश्कात सफ़्हा602)
सवाल- हज़रते अली मुर्तजा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की कुन्नियत"अबु तुराब होने का वकिया क्या है?
*जवाब- आपकी कुन्नियत अबु तुराब होने का वकिया यूं है कि हज़रत अम्मार बिन यासिर रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मैं और हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु ग़ज़वाए अशीरा मे खजूर के एक पेड़ की जड़ में सो रहे थे वह जमीन रेतीली थी और हम गर्दआलूद हो गए थे फिर हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हमारे सिरहाने तशरीफ लाए और हमे जगाया और हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु से फरमाया उठ ऐ"अबु तुराब"लेकिन आपकी कुन्नियत अबु तुराब मशहूर होने का किस्सा यह है कि जिसे बुखारी व मुस्लिम मे हजरत सहल बिन साअद रजियल्लाहु तआला अन्हु से नक्ल किया है कि हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु के घर हजरत फातिमा रजियल्लाहु तआला अन्हा के पास तशरीफ लाए इससे पहले हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु घर से बाहर तशरीफ लाकर मस्जिद में सो गए थे हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने सैय्यदा फातिमा रजियल्लाहु तआला अन्हा से फरमाया तुम्हारे इब्ने आम यानी अली मुर्तजा कहाँ हैं हजरत फातिमा रजियल्लाहु तआला अन्हा ने अर्ज किया मेरे और उनके दरमियान रंजिश सी हो गई है और वह गुस्से में बाहर चले गए हैं इसके बाद हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने किसी से फरमाया देखों वह कहाँ है तो उस आदमी ने आकर बताया कि हजरते अली मुर्तजा रजियल्लाहु तआला अन्हु मस्जिद में आराम कर रहे हैं फिर हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम उनके सिरहाने तशरीफ लाए और उनके पहलू पर सोते हुए मुलाहिजा फरमाया उनके पहलू पर निशानात पड़े हुए थे और उनका बदन खाक आलूदा हो गया था इस पर हुजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया"कुम अबा तुराब" अबु तुराब उठो उस से आपकी कुन्नियत अबू तुराब हो गई।*
(मदारिजुन्नबुव्वत जिल्द2सफ़्हा136)
◆________________________________◆
*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)
No comments:
Post a Comment