POST 02

*_﷽-الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ_*
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 《[इस्लामी हैरत अंगेज़ मालूमात पोस्ट(55)]》
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    *《हुज़ूर नबी-ए-करीमﷺका बयान》*
             *《पोस्ट (02)》*
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सवाल- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का नसब शरीफ वालिद और वालिदा की तरफ़ से किस तरह है?
*जवाब- हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के नसब शरीफ़ को मवाहिब लदुन्निया में इस तरह बयान किया गया है मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन अब्दुल मुत्तलिब बिन हासिम बिन अब्दुल मुनाफ़ बिन कस्सी बिन कलाब बिन मर्रा बिन कअब बिन लव्वी बिन गालिब बिन फहर बिन मालिक बिन फजार बिन माद बिन अदनान यहां तक सिलसिला नसब में  अरबाब सैर व असहाबे ख़बर और उल्मा इल्मुल अंसाब में सब का इतिफाक है इससे ऊपर का नसब मालूम नहीं क्योंकि अदनान से हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम से हज़रत आदम अलैहिस्सलाम तक बहुत इख्तिलाफ है चुनांचे किसी ने अदनान से हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम तक तीस ऐसी पुश्तों का ज़िक्र किया है जिनका कुछ अता पता नहीं और किसी ने इससे कम और किसी ने इससे ज्यादा पुश्तों का ज़िक्र किया है क्योंकि हमें उस पर एतिमाद नहीं और उल्मा के अकवाल के भी मुखालिफ है इसलिए हमने उनका ज़िक्र नहीं किया और वालिदा मोहतरमा की तरफ़ से सिलसिला नसब इस तरह है आमना रज़ियल्लाहु तआला अन्हुम बिन वहब बिन अब्दे मुनाफ़ बिन जोहरा बिन कलाब बिन मर्रा बिन कलाब में जाकर दोनों सिलसिले मिल जाते हैं।*
(मदारिजनवुव्बत 2/7/मआरिजनवुव्बत2/7)

सवाल- हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु तअाला अलैहि वसल्लम के दादी दादा नानी नाना का नाम क्या है?
*जवाब- हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु तअाला अलैहि वसल्लम के दादा मोहतरम का नाम अब्दुल मुत्तलीब है दादी मोहतरमा का नाम फातिमा बिन उमरु और नाना जान का नाम वहब बिन अब्दे मुनाफ़ है नानी मोहतरमा का नाम बर्रा बिन अब्दुल उज़्जा है।*
(मआरिजनवुव्बत 1/153'157)

सवाल- हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का नुतफा जकिवा सदके रहम मादर में की माह और किस तारीख को करार पाया?
*जवाब- नुतफा ज़किया मुहम्मदिया सदफ रहम आमना रजियल्लाहु तआला अन्हा में कब करार पाया इसके बारे में तीन कोल है(1)अय्यामे हज़ की दरमियानी तशरीक के दिनों शबे जुमा को हुआ था(2)शबे जुमा अरफा को(3)बारहवीं जिलहिज्जा में हुआ कि हसरत अब्दुल्लाह जमार की रमी करके आए और मुकरबत की और इस ताल्लुक़ से हकीमुल उम्मत मुफ्ती यार खान रहमतुल्लाह तआला अलैहि नईमी में उसी जगह फरमाते है यह असल में रजब का महीना था जिसे कुफ्फार ने उसी साल जिलहिज्जा करार देकर हज किया था।*
(मदारिजनवुव्बत/मआरिजनवुव्बत/तफसीर नईमी 2/289)
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफ़्हा100)
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