*मसलके आला हजरत क्या है, और ये क्यों जरूरी है ?* पोस्ट नम्बर-:: ( 6 )



*वाक़्यात पढें की आला हज़रत की ज़िंदगी किस तरह हमें दर्स देती है ! वाक़्यात पढ़ कर गौर करें कि मसलके आला हज़रत आख़िर क्यों कहा जाता है ?*

*एक बुज़ुर्ग की आलाहज़रत के लिए दुआए मग़फ़िरत*

♦पहली बार की हाज़री में मीना शरीफ़ की मस्जिद में मग़रिब के वक़्त हाज़िर था उस वक़्त मैं वज़ीफ़ा बहुत पढा करता था अब तो बहुत कम कर दिया है ! बिहम्दिल्लाह तआला में अपनी हालत वह पाता हूँ जिसमे फुकहाये किराम ने लिखा है कि सुन्नतें भी ऐसे शख़्श को माफ हैं लेकिन अल्हम्दुलिल्लाह सुन्नतें कभी न छोड़ी, नफ़्ल अलबत्ता उसी रोज़ से छोड़ दिए हैं ! ख़ैर जब लोग मस्जिद से चले गए तो मस्जिद कर अंदुरुनी हिस्सा में एक साहब को देखा कि क़िबला रु वज़ीफ़ा में मसरूफ़ हैं ! मैं सहने मस्जिद में दरवाज़ा के पास था पर कोई तीसरा मस्जिद में न था, यकायक एक आवाज़ गंगनाहट की सी अंदर मस्जिद के मालूमा हुई जैसे शहद की मक्खी बोलती है फ़ौरन मेरे क़ल्ब में ये हदीस आई कि~
*अहलुल्लाह के क़ल्ब से ऐसी आवाज़ निकलती है जैसे शहद की मख्खी बोलती है !*

📿मैं वज़ीफ़ा छोड़ कर उनकी तरफ़ चला कि उन से दुआए मग़फ़िरत कराउ, कभी में किसी बुजुर्ग के पास दुनियावी हाजत लेकर न गया जब गया तो इसी ख्याल से की उन से दुआए मग़फ़िरत कराउूँगा , ग़रज़ 2-3 क़दम उनकी तरफ़ चला था कि उन बुज़ुर्ग ने मेरी तरफ़ मुंह करके आसमान की तरफ़ हाथ उठा कर तीन मर्तबा फ़रमाया ::
*ए अल्लाह मेरे इस भाई की मग़फ़िरत फरमा !*
*इलाही मेरे इस भाई को बख्श दे !*
*परवरदिगार मेरे इस भाई के गुनाहों को माफ़ फ़रमा !*

💠में समझ गया कि फ़रमाते हैं हमने तेरा काम कर दिया अब तू हमारे काम मे मुखल न हो मैं वेसे ही लौट आया !
*📚【फैज़ान ए आला हजरत, सफ़ा 300】*
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