*【POST 46】नमाज़ मे कुहनियाँ खुलीं रखना*

*बिला मज़बूरी कुहनियाँ खोल कर जैसे आजकल आधी आस्तीन की शर्ट पहिन कर कुछ लोग नमाज़ अदा करते है। यह मकरूह है और ऐसी नमाज़ को लौटाने का हुक्म है।*
         
📕 *(फ़तावा रजविया जिल्द 3 सफ़ा 416)*
     
*और जो लोग आस्तीन चढ़ाकर  और कुहनियाँ खोल कर नमाज़ अदा करते है। उन पर दो गुनाह होते है। एक कपड़ा समेटने चढ़ाने का और दूसरा कुहनियाँ खुली रखने का क्यूंकि नमाज़ मे कपड़ा चढ़ाना मना है। जैसे कुछ लोग सज्दे मे जाते वक़्त दोनो हाथो से पाजामे के पायेंचे को पकड़ कर चढ़ाते है। यह भी नाजाइज व गुनाह है। इस किस्म के नमाज़ियो को प्यार मोहब्बत से समझाते रहना चाहिए या बजाय एक एक को टोकने और रोकने के सबको इकट्ठा करके मसअला बता दिया जाये ताकि कोई अपनी तौहीन महसूस नशकरे क्यूकि आजकल दीनी बातों पर टोका जाये तो लोगो मे तौहीन महसूस करने की बीमारी पैदा हो गई है।*

📚 *गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफहा, 48*

*_आज कल हर जगह ऐसे बाज़ लोग पाये जाते है। उन्हें कितना ही समझाओ पर उनको इससे कुछ मतलब नही रहता अपनी हट धर्मी मे रहते है। ऐसे लोग शिवाए गुनाह के और कुछ हासिल नही करते है। लेकिन हमारे कुछ भाई जो थोड़ा इल्म रखते है। उनके समझाने का तरीका भी बहुत तकव्वर भरा रहता है। उन्हे भी चाहिए इस्लाह करने बालो को प्यार मोहब्बत से समझायें न की उनके सामने अपने आपको सबसे बहतर होने का सबूत दे यह ़रिया  कारी है। यह गुनाह भी है। जो अल्लाह तआला को बिल्कुल भी पसन्द नही है। इसलिए बहतर तरीका यही है। समझाने बाले को सरमिन्दगी महसूस भी न हो और उसकी इस्लाह हो जाए ऐसा रास्ता निकाले।_*

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