*विलादते इमाम "हसन" रज़ियल्लाहु तआला अन्हु तमाम सुन्नियों को बहुत बहुत मुबारक हो*

नाम ----- सय्यदना इमाम "हसन" रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

वालिद --- मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

वालिदा -- ख़ातूने जन्नत हज़रत फ़ातिमा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा

विलादत - 15 रमज़ान,3 हिजरी

विसाल --- 5 रबियुल अव्वल ,49 हिजरी

उम्र    -- 45 साल 6 महीने कुछ दिन

आपके फ़ज़ाइल बेशुमार हैं,हुसूले बरकत के लिए चंद यहां ज़िक्र करता हूं

! जब हुज़ूर का विसाल हुआ तो आपकी उम्र मुबारक 7 साल 6 महीना थी फिर भी आपसे 13 हदीसें मरवी है,इस उम्र में हदीसों को याद रखना और उसे नक़ल करके रखना ये आपके हाफ़िज़े का कमाल है

! आप नबी के सर से लेकर सीने तक मुशाबह थे और सीने से पैर तक हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

! हुज़ूर ने आपको सहाबा के मजमे में सय्यद यानि सरदार फ़रमाया

! कभी हुज़ूर नमाज़ के सज्दे में होते तो आप सरकार की गर्दन और पुश्त पर सवार हो जाते और हुज़ूर अपना सज्दा लम्बा फरमा देते मगर आपको पुश्त से ना हटाते जब तक कि आप खुद ना उतर जाते,सुब्हान अल्लाह

! एक मर्तबा हुज़ूर आपको अपनी गर्दन पर बिठाये कहीं जा रहे थी कि किसी ने कहा वह साहबज़ादे सवारी कितनी अच्छी है इस पर हुज़ूर फरमाते हैं कि बेशक सवार भी बहुत अच्छा है

! आप बेहद सखी थे तीन बार अपना आधा माल राहे खुद में खर्च किया और दो मर्तबा पूरा माल लुटा दिया

                    *करामत*

एक बार आप पैदल हज को जा रहे थी आपके पैरों में वरम आ गया,आपके ग़ुलाम ने आपको सवारी पेश की मगर आप उस पर बैठे नहीं और उससे फरमाया जब तुम मंज़िल पर पहुंचोगे तो एक हब्शी मिलेगा तुम उससे तेल खरीद लेना,जब आप मंज़िल पर पहुंचे तो एक हब्शी मिल गया ग़ुलाम ने उससे तेल लिया तो उसने पूछा कि तेल का क्या करोगे तो वो बोला कि हज़रत इमाम के पैरों में सूजन आ गयी है तो मालिश करूंगा इस पर वो साथ साथ आया और हज़रत इमाम हसन से कहने लगा कि या सय्यदी मैं इस तेल की कीमत नहीं लूंगा मगर मेरी एक इल्तिजा है कि मेरी बीवी हामिला है आप दुआ फरमा दें कि मुझे एक नेक बेटा अता हो आपने फरमाया कि घर जा जो तू चाहता है वही होगा,वो घर पहुंचा तो उसके घर लड़का पैदा हो चुका था

📕 शवाहिदुन नुबूवत,सफह 302

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